हम अशुद्धि में घर पर बिल्कुल दूर रहते हैं, किन्तु ऑफिस में सब तरीके के लोग होते हैं। यदि ऑफिस में कोई मेरा पानी या लंच बॉक्स छूता है, तो मैं मना नहीं कर पाती, पर मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता, क्या करें? कृपया आप ही उपाय बताएँ।
एक सूक्ति है ‘आपत्ति काले मर्यादा नास्ति!’ यदि मैं कहूँ कि ऑफिस में सब से दूरी बनाकर रखो तो शायद प्रेक्टिकल न हो, फिर भी उसमें जितना सम्भव हो बनाना चाहिए।
दूसरी बात वहाँ आप उस दूरी को बना करके चलने में समर्थ न हों तो घर आने के बाद पहले अपने वस्त्रों आदि की शुद्धि करें, उसके बाद आप अपनी रसोई और अपने घर के कपड़े-लत्ते को छूना प्रारम्भ करें। तब आप अपने घर की शुद्धि का अच्छे तरीके से पालन कर सकोगे। ये केवल महिलाओं के लिए है, पुरुष भी तो आजकल स्त्रियों से हाथ मिलाते हैं। अपने साथ काम करने वाली महिलाओं के साथ हाथ मिलाते हैं तो ये जो एक प्रकार का स्पर्श है। तो कौन अशुद्ध है और कौन शुद्ध इस बात का तो पता ही नहीं है।
मैंने इस विषय पर पहले भी एक-दो बार बोला है कि शुद्धि को कुलाचार का अंग मानकर दृढ़ता से पालना चाहिए क्योंकि जो इस शुद्धि का पालन नहीं करते, जिस घर में ऐसी पवित्रता का ध्यान नहीं रखा जाता उस घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार ज्यादा होता है। अलाएँ-बलाएँ बढ़ जाती है, रिद्धी-सिद्धी नष्ट हो जाती है। इसका परहेज रखें और इन से बचें। आज कल लोग सोचते नहीं हैं। पहले इन सब बातों का विशेष ध्यान रखा जाता था। पहले लोग शौचालय जाते थे तो वस्त्र बदलते थे क्योंकि जहाँ गंदगी है वहाँ नेगेटिव एनर्जी है और पहले के लोगों में इतने डिप्रेशन की शिकायत नहीं आती थी। पहले के लोगों के negative thoughts (नाकारात्मक विचार) नहीं होते थे। आप कारण की गहराई में जाइये इसके पीछे अन्तरंग कारण ये भी है कि यदि इन शुद्धियों का बड़ी नीति से पालन करेंगे तो आप अपने घर में बहुत सुख, शांति और समृद्धि पा सकेंगे। इन्हें कोरी रूढ़ि कहकर के इनकी धज्जियाँ न उड़ाये। इन्हें अपने जीवन का एक अंग मानें। रूटीन बनाकर स्वीकार करें, आप देखें आपके जीवन का निश्चित कल्याण होगा।
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