हमें किन्हीं कारणों से व्यापार में रुचि लेनी पड़ती है। लेकिन हम अंतरंग में सिर्फ धर्म और ज्ञान की रूचि रखते हुए व्यापार करते हैं, गलत रूप से व्यापार नहीं करते, तो क्या उसमें हमें धर्म का लाभ मिलेगा? धर्म करने वाले को व्यापार चलाना चाहिए या नहीं?
व्यापार करने पर धर्म का लाभ नहीं मिलता; व्यापार करने वाले धर्म का लाभ ले सकते हैं। यह बात तो तय है कि जितनी देर आप व्यापार कर रहे हैं उतनी देर आप का आरम्भ का काम कर रहे हैं, सावध्य का काम कर रहे हैं, परिग्रह के संचय का काम कर रहे हैं; शुद्ध भाषा में पाप का काम कर रहे हैं। किन्तु यदि आपकी उसमें संलिप्तता कम है तो आप का पाप प्रगाढ़ नहीं होगा, मंद होगा! नंबर एक-आप का पाप मंद होगा और दूसरी बात- यदि आपके धन-पैसे से ज्यादा आसक्ति नहीं है, तो आप पैसा कमाएं और उदारता पूर्वक उसका सदुपयोग करें, तब ये व्यापार करके भी आप धर्म कर सकते हैं।
यदि मजबूरी-वश व्यापार करना पड़ रहा है, करें! पर ध्यान रखें! यह पाप का व्यापार है, हमें पुण्य का भी व्यापार करना होगा। उधर जो कमाएं उसको परमार्थ में लगाकर संतुलन बनाए रखें।
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