किसी व्यक्ति की सफलता के पीछे उसका सही समय पर सही निर्णय लेना होता है। अगर निर्णय गलत तो सफलता अनिश्चित! निर्णय लेना एक कला है। किस समय और कैसे निर्णय लिया जाए, इस सन्दर्भ में आपका अमूल्य निर्देशन चाहिए।
निर्णय लेना एक कला है। सही समय पर सही निर्णय वही ले सकता है, जिसके अन्दर सूझ-बूझ हो। आपके अन्दर सूझ-बूझ हो और अवसर के अनुरुप निर्णय लें। सही निर्णय लेने की क्षमता तब आपके भीतर आएगी, जब आप अपने निर्णयों की समीक्षा करेंगे।
एक ऐसा व्यक्ति था जो अक्सर गलत निर्णय का शिकार हो जाता था। एक दिन उसने मुझसे कहा कि “महाराजजी! मेरे साथ अक्सर ऐसा होता है, मैं जल्दबाजी में निर्णय ले लेता हूँ और प्रायः मेरे निर्णय में गलतियाँ हो जाती है। मुझे विफलताओं का सामना करना पड़ता है।” वह बहुत frustrate (निराश) भी था। मैंने उससे कहा “ऐसा नहीं कि जो गलत निर्णय ले वह सही निर्णय नहीं ले सकता है। अपने गलत निर्णयों के आधार पर कुछ अनुभव का पाठ सीखो।” मैंने उससे कहा कि “अपने हर निर्णय की समीक्षा करो और समीक्षा करने के बाद देखो कि वह निर्णय लेने के बाद क्या तुमसे कुछ गलती हुई? और यदि ऐसा लग रहा है कि तुम्हारा ये निर्णय गलत है तो उसकी समीक्षा करो और समीक्षा करके ये तय करो अगले बार जब कभी ऐसा मौका आएगा, तो मैं ऐसे निर्णय नहीं लूँगा। ऐसे निर्णय की पुनरावृत्ति नहीं करूँगा। प्रतिदिन अपने सुबह से शाम तक के निर्णयों की समीक्षा करो।” आपको सुनकर आश्चर्य होगा उस आदमी को साल भर लगा अपने निर्णयों की समीक्षा करने में और धीरे-धीरे उसमें बहुत परिवर्तन आया। फिर उसके सामने कई ऐसे अच्छे-अच्छे निर्णय हुए जिसको लेकर वह अपने आप को बहुत सफल और प्रसन्न मानने लगा। आज उसका confidence (आत्मविश्वास) इतना बढ़ गया कि वह एक सफलतम इंसान के रूप में प्रतिष्ठित हो गया है। तो आप अपने गलत निर्णयों का रोना रोने की जगह उसकी समीक्षा कीजिए और अनुभव का पाठ लीजिए।
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