महानगरों में व्यक्ति ५ दिन व्यस्त रहता है, तो वह कहता है कि ‘बहुत बिजी हूँ और स्ट्रेस में हूँ’ और जो २ दिन फ्री रहता है, तो इधर-उधर टाइम पास करने के लिए भागते रहता है और उस समय भी अपने जीवन को व्यर्थ करता है। हमारा टाइम मैनेजमेंट कैसा होना चाहिए जिससे कि हमें लाइफ में यह न लगे कि हमने अपनी लाइफ ऐसे ही बिता दी?
अंजू जी जैन, गुरुग्राम
हमें अपनी प्राथमिकता सुनिश्चित करनी चाहिए कि हमारी प्रायोरिटी में है क्या? जब तक हम अपनी प्रायोरिटी को तय नहीं करेंगे तो टाइम मैनेजमेंट नहीं होगा। निश्चित, काम का अपना एक भाग है लेकिन कितना भी बड़ा काम हो, मेरी धारणा के अनुसार, समय का अभाव उनके पास नहीं होता जो व्यस्त होते हैं, समय का अभाव उनके पास होता है जो अस्त-व्यस्त होते हैं। व्यस्त रहिए, मस्त रहिए, अस्त- व्यस्त रहोगे तो त्रस्त रहोगे। बिजी होना बुरा नहीं है। अपने काम में बिजी रहिए, इंजॉय कीजिए। अपनी प्रायोरिटी तय कीजिए और अपनी प्राथमिकता के अन्तर्गत अपने सारे कार्यों को जोड़िए और टाइम मैनेज कीजिए। फालतू के काम में टाइम कंज्यूम मत कीजिए। मैं ऐसे बहुत लोगों को जानता हूँ जिनके पास रत्ती भर काम नहीं है और क्षणभर की फुर्सत नहीं है। बिज़ी विदाउट वर्क । रत्ती भर काम नहीं, फिर भी एक क्षण की फुर्सत नहीं। वह क्या कर पाएँगे, वह अपने जीवन को सन्तुलित नहीं कर पाएँगे। उनको कोई खास लाभ नहीं मिल पाएगा। इसलिए इस तरीके से अपने आप को मैनेज करके चलेंगे, तो हमारे लिए चाहे कार्य के दिन हो या छुट्टी के दिन, सब में आनन्द मिलेगा और समय भी मिलेगा।
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