हम वर्ष के उस चरण पर हैं जहाँ पुराना वर्ष जाने के लिए और नया वर्ष आगमन की ओर है। गुरुवर हम २०२० में की गई गलतियों का कैसे प्रायश्चित करें और २०२१ का आगमन कैसे करें ताकि हमारा नया साल अच्छे से निकल सके?
हम लोग हर साल नया वर्ष मनाते हैं। यद्यपि हमारी संस्कृति के अनुसार नववर्ष का दिन विक्रम संवत या वीर निर्वाण से प्रारंभ होता है। लेकिन चूँकि यह व्यवहार काल है, विक्रम के पहले भी हमारा वर्ष चलता था, भगवान महावीर के पहले भी वर्ष चलता था, तो यह परिवर्तन हुआ। आज ईंसवी सन से जोड़ा जाए, तो मैं उस परिवर्तन को स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं करता।
पर सबसे पहली बात, हमारा दिन सूर्योदय से होता है इसलिए हम नववर्ष की गणना रात के १२:०० बजे से करने की जगह सूरज की पहली किरण के साथ करना शुरू करें, तो सबसे उत्तम होगा। दूसरी बात, हम नए वर्ष की शुरुआत मौज-मस्ती से न करके, प्रभु भक्ति से करें तो हमारे जीवन के लिए ज्यादा कल्याणकारी होगा। आने वाले दिनों में सभी लोग नए वर्ष को मनायेंगे और ३१ की रात को लोग पता नहीं क्या-क्या करेंगे! शराब, शबाब और कबाब में सब खराब होता है! मैं सारी युवा पीढ़ी को और सब को यह संदेश देना चाहता हूँ कि आने वाले दिनों में आप नववर्ष मनायें तो इस तरीके से मनायें कि वह वर्ष आपके उत्कर्ष का कारण हो, आपके पतन का नहीं।
सूरज के उजाले के साथ आप दिन का स्वागत कीजिये और अपने दिन की शुरुआत भगवान की भक्ति के साथ कीजिए और नए वर्ष के लिए कुछ नए संकल्प लीजिए, ऐसे संकल्प जो आपके जीवन के विकास के लिए अत्यन्त आवश्यक और अपेक्षित हैं; जो अब तक हम नहीं कर पाए, जहाँ हम पिछड़े रहे, वहाँ आगे बढ़ने का संकल्प, अपने दोषों, दुर्बलताओं और दुर्गुणों को दूर करने का संकल्प। ऐसे मनोभाव से भरकर, जब हम कोई ठोस संकल्प अपने मन में जगायेंगे, तभी नववर्ष मनाने का कोई अच्छा लाभ हो पाएगा। तो भगवान की भक्ति और सुख संकल्पों के साथ नव वर्ष मनायें।
बीते वर्ष की समीक्षा करो- जो-जो गलतियाँ की हैं उन्हें न दोहराने का संकल्प लो। नए वर्ष की शुरुआत से पूर्व यदि किसी के साथ हमारे व्यक्तिगत व्यवहार के कारण कुछ ऊँचा-नीचा हुआ है, तो उस खाते को बंद करो। सामने वाले से क्षमा माँगो और क्षमा भाव रखो।
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