मैं देखने में अच्छी नहीं दिखती तो लोग मेरे मुँह पर ही बोल देते हैं। इससे depression (तनाव) होता है। ऐसे में क्या करना चाहिए?
सबसे पहले तो मैं आप सबसे (श्रोताओं से) कहना चाहता हूँ कि कोई व्यक्ति यदि कर्म उदय से रूपवान नहीं है, तो उसकी हँसी कभी मत उड़ाओ। बुरे में भी अच्छा देखने की कोशिश करो। आज वो अपने पाप उदय के कारण इस स्थिति को भोग रहा है लेकिन ये मानना कि कल तुम्हारा भी ऐसा कर्म बँधेगा कि लोग तुम्हारी भी हँसी उड़ाएँगे। हम किसी के साथ जितना चाहे हँसे पर किसी के ऊपर कभी न हँसे। किसी के साथ हँसना और किसी पर हँसना बहुत अगल-अलग चीजें हैं। यदि कोई ऐसा हो तो उसके मुँह पर न बोलें। ये हिंसा है।
पर आप दूसरों का मुँह बंद नहीं कर सकते हैं। अपने आपको बचा सकते हैं। यदि कोई बोले तो उसको भी चुपचाप झेल लो। ये सोचो कि ‘सही ही तो बोल रहा है। मेरा स्वरूप ऐसा है मैं बदकिस्मत हूँ। मेरे पाप कर्म का उदय है। ठीक है, ये बोल रहा है। इसमें मेरे कर्मों की निर्जरा हो रही है। मैं उसको सहन करूँगी तो मेरा कर्म कटेगा। ऐसा बोलकर कोई मुझे छेड़ नहीं रहा है। बल्कि मेरे ऊपर उपकार कर रहा है। इस बात को मैं सहन करूँगी तो मेरे कर्मों की निर्जरा होगी। हे भगवन! मुझमें इतनी शक्ति आये कि लोगों के बोल सुनूँ और समता रखूँ, और मेरे सारे पाप यहीं कट जायें। अगले जन्म में ऐसी स्थिति न आये।’ ऐसी सोच रखो तो आपको कभी ऐसी प्रॉब्लम नहीं होगी।
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