जब दूसरे बच्चे पटाखे फोड़ते हैं, तो फिर मेरा भी मन करता है कि मैं भी फोड़ूं, ऐसे वक्त में मैं क्या करूँ?
बहुत अच्छा प्रश्न किया है, दूसरे बच्चे पटाखे फोड़ते हैं तुम्हारा मन करता है कि मैं भी फोड़ू, क्या करूँ? ऐसा करना चाहिए, दूसरे बच्चे पटाखे फोड़ रहे हैं और हमें दिख रहा है, तो यह देखो एक आदमी जहर खाता है तो क्या तुम्हारा मन होता है कि मैं भी जहर खा लूं, क्यों नहीं होता? जहर खाएँगे तो मर जाएँगे। तो इसी तरह यह सोचो कि वो पटाखा फोड़ रहा है, अपनी आत्मा को कलंकित कर रहा है। अपना विनाश कर रहा है, वो हिंसा कर रहा है, पाप कर रहा है, मैं ऐसा क्यों करूँ। उस समय ये कहना नहीं, वह करेगा सो करेगा, मुझे यह नहीं करना। मैंने संकल्प लिया मुझे पटाखे नहीं फोड़ना। मुझे जीव हिंसा से बचना है। अपने मन को समझाओ और जब वह पटाखा फोड़ने लगे, तो अगर बन सके तो उसे भी समझाओ कि यह पाप का कार्य क्यों कर रहे हो? इस पाप का परिणाम बहुत बुरा होगा। इससे अपने आप को बचाओ।
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