किसी आकस्मिक घटना के कारण मेरे बेटे का पूरा परिवार आज इस दुनिया में नहीं है, मैं बहुत आकुल-व्याकुल रहती हूँ। मैं स्थिर परिणाम पाने के लिए क्या करूँ?
आपके साथ जो घटना घटी है निश्चित रूप से यह घटना व्यक्ति को हिला देने वाली है। लेकिन, अब आप सोचें कि उस घटना पर आपका जोर कहाँ था? काल-बली के आगे बड़े-बड़े बाहुबली भी नहीं टिक पाते, काल बली सबसे बड़ा बली है। इसे होनहार मानें।
यह सोचें कि “मेरे बेटे और उसके परिवार का इतना ही संयोग था। मैं उसके वियोग में या उस विपत्ति भरी बात को याद करके व्याकुल होकर क्या पाऊँगी? खोऊँगी ही।” आपने बेटा खोया काल के कारण और आप अपने जीवन को बर्बाद कर रही हो अपने उस मोह के कारण। अपने मोह भाव को शमित करो, तत्व की भावना से वस्तु के स्वरूप का बार बार चिन्तन करके, आप जिसके पीछे व्याकुल हो रही हो वह आपको याद नहीं कर रहा होगा। हम आज यहाँ जन्म लिए हैं, किसी को बिलखता छोड़कर आए होंगे, लेकिन कभी किसी को याद आया कि हम जन्म लिए तो मेरे पीछे कोई बिलख रहा होगा, हम कहीं से मरकर आये हैं। यह संसार की वास्तविकता है, जो जहाँ रहता वहीं रम जाता है। इसलिए, मोह मत करो।
अपने बचे हुए जीवन को बचाओ। इस घटना से अपने अन्दर वैराग्य जगना चाहिए कि “किस संसार में हम रम रहे हैं, किसके पीछे हम इतनी ज्यादा आपाधापी कर रहे हैं? किसके लिए यह हाय-हाय है? जीवन का कोई ठिकाना नहीं, अगले पल का भरोसा नहीं। जो समय बचा है उसमें अपने आत्मा के स्वरूप को पहचान कर अपने आप को धर्म ध्यान में लगाएँ, राग-द्वेष मोह को शान्त करके अपने जीवन के कल्याण का रास्ता बनाएं।”
यह जीव अनंत बार अनंत संतानों को जन्म दे चुका है। आप अनन्तों की माँ बन चुकी, आप के अनंत बेटे हो चुके और आप अनन्तों के बेटे भी बन चुके। यह संसार है, अनादि से चल रहा है। थोड़ा वैराग्यप्रद बातों को पढ़ो, सुनो, तत्व ज्ञान का आश्रय लो, परिणाम शान्त होगा। उस घटना को स्वीकारे बिना आपके के लिए और कोई रास्ता नहीं।
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