अगर जाप की संख्या भूल जायें और अधिक जाप दे दें तो क्या दोष लगेगा?
एक दिन नियम ले लो कि ‘जिस दिन माला पूरी करने के बाद जाप कम अधिक होने का संशय होगा तो उस जाप को हम खारिज कर देंगे और फिर से जाप करेंगे।’
मैं जब ब्रम्हचारी था, गर्मी का समय था जबलपुर की बात है। गर्मी प्रचण्ड थी, दोपहर की सामायिक में नींद आती थी। गुरुदेव के सानिध्य में सामायिक करता था, बड़ी तकलीफ़ होती थी, नींद आती थी। जब गुरुदेव से एक दिन पूछा ‘क्या करूँ कोई उपाय बताएँ, ‘ उन्होंने कहा तय कर लो पाँच माला फेरनी है, जब तक माला निर्दोष नहीं फिरेगी तब तक उठना नहीं यानी जिस माला में झपकी आएगी उससे पहले की सारी माला खारिज। आपको सुनकर आश्चर्य होगा, पहले दिन ३:३० घंटे में मेरी पाँच माला पूरी हुई, जो ५० मिनट में हो जाती थी वह ३:३० घंटे में हुई। नतीजा यह निकला कि दूसरे दिन से झपकी मुझसे दूर भागने लगी; यह प्रमाद है, प्रमाद को तोड़िये।
जब आपने माला फेरी, पर कितने दाने गिने, यह ही आपको ध्यान नहीं है, तो आपकी एकाग्रता कहाँ है? ऊँगली चलाने का नाम जाप नहीं है, उसमें मन को रमाने का नाम ही वास्तविक जाप है।
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