शंका
नासा दृष्टि रखने का महत्त्व!
समाधान
नासा दृष्टि रखने में न राग है न द्वेष है। भगवान की आँखें ना खुलती हैं ना बंद होती हैं। आँख का खुलना ज्ञान का और आँखों का बंद होना अज्ञान का प्रतीक है। जो अज्ञान से ज्ञान में आते हैं उनकी आँखें खुलती हैं। पर भगवान परम ज्ञान को प्राप्त कर लिए, उनकी आँखें ना खुलती हैं ना बंद होती हैं। हम छद्मस्थों से परे है इसीलिए वह आँखें स्थिर रखते हैं।
अगर अपनी भगवत्ता को प्राप्त करना है, अभ्यास करें। आप इसको नौ बार णमोकार मंत्र से शुरू करें और बढ़ाते बढ़ाते छत्तीस बार और पुरी माला तक करें। अभ्यास करेंगे तो नासा दृष्टि का अभ्यास होगा। प्रारंभ में आपके सिर दर्द भी हो सकता है, हमें भी हुआ, उसे धीरे धीरे अभ्यास किया जा सकता है।
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