राम, हनुमान आदि जो भी मुनिराज मोक्ष गए हैं, उन्हें अन्य धर्म में भी माना जाता है। जब हम शिविर लगाते हैं, उस समय कई बच्चे हम से प्रश्न पूछते हैं कि “हम राम भगवान आदि को पूजें तो क्या हम कुदेव को पूज रहे हैं, ऐसा माना जायेगा क्या”?
हमारे जैन धर्म में किसी भी नाम से किसी को भी पूज लो, हमारे पूज्य वही है, जो वीतरागी है। हमारे यहाँ रामचन्द्र जी का रुप तीन रूपों में मिलता है। एक राजाराम, एक मुनि राम और एक भगवान राम। जैन धर्म के अनुसार रामचन्द्र जी एक मनुष्य के रूप में जन्मे, वह बलभद्र थे, बलराम थे। और वे जब राजा थे तो उन्होंने मर्यादा का पालन करके लोक में एक सीख दी। इसलिए समाज में एक आदरणीय पुरुष की तरह रहे, महापुरुष की तरह रहे। बाद में उन्हें वैराग्य हुआ, उन्हें दीक्षा धारण की, इसलिए हम उनको मुनि राम के रूप में जानते हैं। उन्होंने कठोर तपस्या की, मांगीतुंगी से उन्होंने निर्वाण को प्राप्त किया, तो हम लोगों के लिए भगवान राम बन गए।
वैदिक परम्परा में रामचन्द्र जी को एक अवतारी पुरुष के रूप में जाना जाता है। उन्हें प्रारम्भ से राज्य अवस्था में ही भगवान माना जाता है। हम लोग वीतराग के उपासक हैं, इसलिए राज्य अवस्था में उन्हें आदर देते हैं। हम वीतराग अवस्था में उनकी पूजा करते हैं। बस यही बात लोगों को समझने और समझाने की जरुरत है।
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