शंका
यदि कोई श्रावक अपने गुरु के साथ में रहता है और वह सुबह उनकी शौच क्रिया, आहार क्रिया, विहार क्रिया और वैय्यावृति में साथ रहता है। यदि उपर्युक्त क्रियाओं को क्रम अनुसार रखा जाए तो उस श्रावक को पुण्य में पहले नंबर पर किसका क्रम आएगा?
समाधान
सेवा और भक्ति के क्षेत्र में किसी का क्रम नहीं होता, जब मौका मिल जाए और जहाँ जिसकी जैसी आवश्यकता हो वही करो। अब मैं यदि कह दूँ कि आहार में सबसे ज़्यादा पुण्य मिलता है, तो बाकी क्रियाओं में कोई आयेगा ही नहीं। कोई कह दे कि “महाराज की परिचर्या में सम्मिलित होने में पुण्य मिलता है”, तो उसी में सम्मिलित हो जाओगे तो भोजन नहीं कराओगे। जहाँ जब जिसकी आवश्यकता, जैसी आवश्यकता तदनरूप कार्य संपन्न करना चाहिए।
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