संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के परम प्रभावक शिष्य, गुणायतन, भावना योग तथा शंका समाधान के प्रणेता मुनिश्री प्रमाणसागर महाराज, मुनिश्री निर्वेगसागर महाराज एवं मुनिश्री संधानसागर महाराज के सान्निध्य में शनिवार 14 नवम्बर 2024 को प्रातःकाल में 108 स्वर्ण, चाँदी और काष्ठ रथों एवं गजराज पर श्री जी का मंगल विहार विजय नगर बिनेजस पार्क आईडीए ग्राउंड से हुआ। यात्रा में 108 वेदियों, 108 जिन प्रतिमाओं और 108 मंडल विधान के साथ दर्जनों झाँकियाँ, दर्जनों बैंड भी शामिल हुए। मंगल गीतों की धुन पर श्रद्धालु प्रभु और गुरू की भक्ति में लीन होकर नृत्य कर रहे थे। मुनि प्रमाणसागर जी संघ के साथ रथयात्रा के सबसे पीछे पदयात्रा करते हुए निकले। उनके दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी।
रथयात्रा की शुरुआत प्रातः 8 बजे मध्यप्रदेश शासन के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री प्रहलाद पटेल जी एवं जल संसाधन मंत्री श्री तुलसी सिलावट जी तथा जैन समाज के भामाशाह दानवीर श्री अशोक पाटनी एवं श्रीमति सुशीला पाटनी जी के नेतृत्व में विजयनगर चौराहे पर श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान के लिये बने आचार्य विद्यासागर सभा मंडप से हुई। इस अवसर पर संघस्थ क्षुल्लक आदरसागर जी, क्षु. समादरसागर जी, क्षु. चिद्रूपसागर जी, क्षु. स्वरूपसागर जी और क्षु. सुभगसागर जी महाराज के साथ इंदौर शहर के सभी गणमान्य नागरिक चल रहे थे। रथावर्तन महोत्सव समिति के संयोजक जैनेश झांझरी व पवन सिंघई रहे।
108 रथों का यह चल समारोह अद्भुत था। ये रथ स्वर्ण, रजत तथा काष्ठ के रथ थे जो कि मुख्यतः राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश से लाये गए थे। इंदौर में पहली बार सोने-चाँदी और बेशकीमती लकड़ी से बने 108 रथ एक साथ निकले। 108 रथों में दो रथ सोने के, दो रजत के और 35 से ज्यादा सोने-चाँदी और बेशकीमती लकड़ियों से बने थे। कुछ रथ लगभग 150 वर्ष पुराने थे।
राहुल जैन (प्रचार प्रमुख, धर्म प्रभावना समिति) ने बताया कि 108 सिद्धचक्र महामंडल विधान संभवतः पहली बार मालवा की इस धरती पर मुनिश्री 108 प्रमाणसागर के सानिध्य में हुआ। महोत्सव अध्यक्ष नवीन गोधा ने बताया कि सभी रथों की अपनी महिमा है। शुक्रवार को सिद्धचक्र महामंडल विधान के समापन पर यह रथयात्रा निकाली गई। इसमें देशभर से आए श्रद्धालु जुटे।
गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड की टीम भी साथ चली। सबसे बड़े रथों के काफिले का गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की टीम ने आयोजकों को सर्टिफिकेट दिया।
इस समारोह में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के संघस्थ सभी मुनिराजों के चित्र के साथ एक वृहद झाँकी आचार्य श्री के जीवन चरित्र पर आधारित थी। भावना योग पर भी एक झाँकी निकाली गयी जिसमें मुनि श्री के स्वास्थ्य लाभ एवं संबोधित नारे लिखे थे। जुलूस का संचालन बाल ब्र. अशोक भैयाजी एवं बाल ब्र. अभय भैयाजी के निर्देशन में प्रातः 8 बजे से प्रारंभ हुआ एवं एल आई जी चौराहा, पाटनीपुरा, भमोरी चौराहा, रसोमा चौराहे से होते हुए दोपहर एक बजे कार्यक्रम स्थल विजयनगर पहुँचा। यात्रा का कई मंचों पर स्वागत हुआ। 50 से 100 कदम दूरी पर एक स्वागत मंच लगाया गया था और उनपर बड़े स्पीकर की व्यवस्था थी। मार्ग पर कई जगह रंगोली भी नजर आ रही थी। प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया कि इस अवसर पर पर्यावरण एवं लोक संस्कृति की विभिन्न झाँकियाँ निकाली गई जिनमें लोकनृत्य का प्रदर्शन हुआ। अखाड़ा भी शामिल हुआ जिसने अपने पेट पर भारी भरकम पत्थर रखकर उसको घन की चोट देकर टुकड़े-टुकड़े करके लोगों की दाँतों तले उंगलियाँ दबा दी। चारों ओर मंगलमय नजारा था जिसमें भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका, न्यूजीलैंड से आये श्रद्धालु भी नजर आये। लोग पारंपरिक वेशभूषा के साथ देशभक्ति के रंग में नजर आए। आदिवासी वेशभूषा में शामिल लोगों ने आदिवासी नृत्य भी किया। 28 राज्यों से लगभग साठ हजार श्रद्धालुओं ने यह अद्भुत नजारा अपनी आँखों से देखा। सुबह से ही समाज के बड़ों के साथ ही बच्चों में भी इस आयोजन को लेकर उत्साह नजर आ रहा था।
इस अवसर पर मुनि श्री ने संबोधित करते हुए सबसे पहले प्रशासनिक अधिकारियों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि “आज के दिन जो कुछ भी घटित हुआ है वह महज एक घटना ही नहीं, अपितु स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाने वाला एक इतिहास है।” मुनि श्री ने कहा कि विधान हर वर्ष होते हैं और विधान के बाद रथयात्रायें भी होती हैं, लेकिन 108 मंडलीय सिद्धचक्र विधान होना पूरे भारत के इतिहास में श्री सम्मेद शिखरजी के बाद यह दूसरी घटना है। लेकिन इंदौर में 108 रथयात्रा पूरे संसार की पहली रथ यात्रा है जिसने अपना नाम वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज करा लिया। आज की यह रथयात्रा ही नहीं थी बल्कि चारों ओर आनंद और उल्लास से भरा जन-सैलाब था। मुनिश्री ने कहा “ये जो अंदर की भावना है, यह बहुत दुर्लभ होती है। उसे आप लोगों ने वह सब कुछ प्रदर्शित कर दिखाया। आपकी भावना आपकी प्रभावना का प्रमाण बन गयी।“ उन्होंने कहा कि इंदौर के इस चातुर्मास में परम पूज्य गुरुदेव के प्रत्यक्ष आशीर्वाद के अभाव में भी उनका आशीर्वाद हमेशा बना रहा। उन्होंने रहस्य की बात बताते हुए कहा “रात 1:40 पर स्वप्न में पूज्य गुरुदेव आये। उन्होंने कहा कि 108 रथों की यात्रा कितने बजे है? तो मैंने कहा 8 बजे और मेरी नींद खुल गयी। फिर मैं नहीं सोया। रथयात्रा में विलम्ब हो रहा था लेकिन आठ बजे ही उपरोक्त रथयात्रा का शुभारंभ हो गया। मैं यह महसूस करता हूँ कि पूज्य गुरुदेव का आशीर्वाद हर पल मेरे साथ है। उनका आशीर्वाद ही हमारी शक्ति है। यह जो कुछ भी है, निमित्त हम लोग हैं, काम सब गुरुदेव का ही है।” मुनि श्री ने कहा कि “इंदौर में जिस दिन मेरा प्रवेश हुआ था आप लोगों का उत्साह देखकर मेरे मन में 108 मंडलीय विधान के साथ 108 रथयात्रा निकालने का आया था। उसमें सभी वर्ग के लोग सम्मिलित हुए वह अविस्मरणीय है।”
धर्म प्रभावना समिति के कार्याध्यक्ष धर्मेंद्र जैन (सिनकेम), रमेश निर्माणा, और उनकी टीम के सभी सदस्य तथा सभी नवरत्न तथा विजयनगर के सभी कार्यकर्ताओं ने अपना कार्य छोड़ा और पूरी टीम लगी रही। उन्होंने विजयनगर की संपूर्ण युवा टीम को दस में से दस नंबर देते हुए आशीर्वाद दिया। इसके साथ ही अशोक भैया और अभय भैया, अमित जी तथा सुदर्शन जी का नाम उल्लेखित करते हुए आशीर्वाद दिया। उन्होंने कहा कि जब विशिष्ट पुण्यशाली लोग जुड़ते हैं उनके पुण्य से सभी अनुकूल संयोग अपने आप जुड़ते जाते हैं। उन्होंने देश के भामाशाह अशोक पाटनी एवं श्रीमती सुशीला पाटनी (आर.के. मार्बल) का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि उनके विशेष पुण्य से यह निमित्त बना। मुनि श्री ने अशोक रानी डोसी, नवीन-आनंद गोधा, योगेंद्र सेठी, अमरीश सेठी, मुकेश पाटोदी, विजय, संजय पाटोदी, रमेश निर्माणा, दिलीप बोगरा, सुरेंद्र प्रीती, तथा मुख्य पुण्यार्जक भरत कुसुम मोदी, आकाश कोयला, सुनील विलाला, महामंत्री हर्ष जैन तथा एस.के. जैन, दिलीप गोधा के साथ आयोजन में भोजन व्यवस्था के लिये गिरीश जैन (गिन्नी परिवार) – जो कि इस आयोजन में रीड़ की हड्डी बनकर सभी के लिये सुस्वाद भोजन कराया – आशीर्वाद दिया। मुनि श्री ने मनोज जैन बाकलीवाल को आशीर्वाद देते हुए कहा कि उन्होंने इंदौर के लिये भरपूर प्रयास किया एवं विहार कराया। प्रचार प्रसार के लिये प्रवक्ता अविनाश जैन विद्यावाणी एवं राहुल जैन स्पोर्ट्स को भी विशेष आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा “मंच से सभी का नाम तो उल्लेखित नहीं कर पा रहा हूँ लेकिन सभी कार्यकर्ताओं के सहयोग से ही यह कार्य संपन्न हुआ है जिसमें जैनेश झांझरी, पवन सिंघई, डी.के. जैन, पंच बालयति मंदिर के जिनेश भैया, सुरेश भैया तथा उनकी टीम ने दिन-रात मेहनत की।“ उन्होंने धर्म प्रभावना के सभी पदाधिकारियों के साथ सभी नवरत्न परिवार एवं अजमेर से पाँच रथों को लाने वाले प्रमोद जी सोनी को विशेष आशीर्वाद प्रदान किया तथा चातुर्मास चल रहे मोहता भवन के शरद जोशी एवं विनय छजलानी का उल्लेख करते हुए चल समारोह में भाग लेने वाले मुंगावली और गंजबासौदा तथा दयोदय टीकमगढ़ के दिव्यघोष वालों को आशीर्वाद देते हुए सभी कार्यकर्ताओं को आशीर्वाद प्रदान किया।