भीतर की खुशी या बाहर की खुशी क्या जरूरी?

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भीतर की खुशी या बाहर की खुशी क्या जरूरी?
Inner happiness vs worldly happiness

अपनी खुशी यदि हम भीतर से खुश रहने के लिए तैयार हैं तो फिर हमारा हर काम अपने आप में अनूठा होगा, आनंददायी होगा। बाहर से प्राप्त खुशी वास्तविक न होकर अस्थाई रूप से प्राप्त खुशी की प्रतिछाया होगी। उस व्यक्ति या परिस्थिति जिससे हमने यह प्रतिछाया प्राप्त की है, के हटते या अलग होते ही वह ख़ुशी भी हमसे दूर हो जाएगी। सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर द्वारा भीतर की खुशी या बाहर की खुशी क्या जरूरी?

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