क्या समाधिग्रस्त मुनि या माता जी का मरणोपरांत अभिषेक-पूजन आगम सम्मत है?

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शंका

क्या समाधिग्रस्त मुनि या माता जी का मरणोपरांत अभिषेक-पूजन आगम सम्मत है?

समाधान

आगम के विधान के अनुसार, यह तो गृहस्थों कि क्रिया है मुनियों की क्रिया नहीं। किसी का दाह संस्कार करना मुनियों का कर्म नहीं है, मुनियों के लिए तो कुछ विशेष भक्तियाँ कही गई हैं कि किसी मुनि की समाधि हो जाए तो उस काल में क्या भक्तियाँ करें! उस शोभायात्रा में जाने का उद्देश्य यदि धर्म की प्रभावना है, तो बात दूसरी है लेकिन इस प्रकार की क्रिया में, किसी भी आरम्भ की क्रिया में जैसे-दाह संस्कार की क्रिया में, मुनि गण प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं होते। अभिषेक आदि की भी जो परिपाटी है मूलभूत ग्रन्थों में देखने को नहीं मिलती। यह आजकल चलन में आ गया है बाद के कुछ ग्रन्थों में ऐसा देखने को मिलता है। वह शरीर तो अब मिट्टी हो गया है। जिसका स्पर्श करने के बाद भी इंसान को नहाना पड़ता है, अब उसे क्या नहलाना और क्या अभिषेक करना? हमारे संघ में कभी ऐसा नहीं होता।

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