क्या अरिहन्त परमेष्ठी, सुखी और सन्तोषी है?

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शंका

क्या अरिहन्त परमेष्ठी, सुखी और सन्तोषी है?

समाधान

अरिहंत परमेष्ठी सुखी और संतोषी नहीं, परमानंदी हैं। सुखी- संतोषी तो हम तुम जैसे लोग होते हैं; जो दुखी होता है वह सुखी होता है; जो असंतुष्ट होता, वह संतोष पाता है। लेकिन वह आनंदी है। 

प्रसंग आया है तो बता देता हूँ, सुख, दुख और आनंद, यह तीनों अलग अलग चीज है। सुख में ‘ख’ का अर्थ होता है इन्द्रियां ,जो हमारी चेतना को अनुकूल लगे, सुहाना, अच्छा लगे, उसका नाम सुख है; और दुख यानी जो हमारी इन्द्रिय, चेतना को बुरा लगे वह दुख होता है। जो हमारे मनोनुकूल होता है , उसमे सुख होता है;जो मनोनुकूल नही होता उसमें सामान्यजनों को दुख होता है।कभी सुख, कभी दुख,ये बदलता रहता है, लेकिन इसके ऊपर है आनंद! आनंद का मतलब क्या है- ‘आ समन्तात नन्दनम’ जहां सब ओर से प्रसन्नता हो, उसका नाम है आनंद! वे अरिहंतों को होता है, भगवन्तों को होता है; वे आनंद ही आनंद मे रहते हैं, वहां परमानंद है ।

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