ध्यान के लिए क्या आसन सिद्धि जरूरी है?
ध्यान के लिए आसन सिद्धि जरूरी नहीं है। ध्यान मन को साधने से होता है, तन को साधने से नहीं होता है। लेकिन हाँ, तन को साधने से मन को बाँधना सरल हो जाता है।
तन आपके नियंत्रण में है, तो मन को नियंत्रण करना थोड़ा easy (सरल) हो जाता है। लेकिन ये जरूरी नहीं कि आप तन साधकर बैठ जाएँ तभी आपका ध्यान हो। ध्यान मन की एकाग्रता से है। जैन साधना में योग की सिद्धि को महत्त्व नहीं दिया गया। उपयोग की सिद्धि को महत्त्व दिया गया है। शरीर को साधना, आसन सिद्ध करना योग सिद्धि है और मन को साध लेना उपयोग की विशुद्धि है। कई बार ऐसा होता है कि आत्मा की एकाग्रता के बल पर मरणासन्न दशा में भी ध्यान हो जाता है और केवल ज्ञान हो जाता है, तो उसके लिए कोई आसन अनिवार्य नहीं है। फिर भी प्रारम्भिक भूमिका में जिन्हें ध्यान का अभ्यास करना है, उन्हें अपने तन को भी साधने का अभ्यास करना चाहिए।
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