ग्रीन सिंबॉल (green symbol) की विश्वसनीयता पर एक प्रश्न चिन्ह लग गया है; और E-नम्बर एक सच है। पढ़े लिखे होने पर भी ई नंबर का फंडा समझ नहीं आता; और उसका पालन करना पिछड़ापन बन जाता है। संवेदना को backwardness (पिछड़ापन) का नाम देना कहाँ तक उचित है? अपने आप को और अपनी संवेदनाओं को ऐसे माहौल में कैसे बचाएँ एवं सुरक्षित रखें?
अब ग्रीन सिंबल और रेड सिंबल शाकाहार और माँसाहार का सही प्रमाण नहीं बचा- बिल्कुल सही कहा। आजकल बहुत सारी चीजें हैं जिनमें ग्रीन सिम्बल है लेकिन जब हम ई नंबर को देखते हैं तो उसमें ऐसे बहुत सारे अखाद्य पदार्थों का सोल्यूशन है जिन्हें खाना तो दूर छूना भी नहीं है, हमें इन सब चीजों को समझना चाहिए। हमारे पढ़े-लिखे होने की सार्थकता केवल इसी में है, हम उसे पहचाने और पहचान करके उसी अनुरूप अपना जीवन यापन करें। सभी उत्पादों में ई नंबर दिया जाता है, इस नंबर को आप जरूर देखें और यह नंबर देखकर के ही काम करें। जो लोग इन सब चीजों को देखकर यह कहते हैं कि ‘ऐसे में हम क्या-क्या खायें, कुछ खाने लायक नहीं बचा’- ये उनकी संवेदनहीनता का द्योतक है। खाने के लिए बहुत कुछ है, खाने के लिए हम इतने पागल न हों कि चाहे जो कुछ खा लें, हमारे अन्दर समझ होनी चाहिए। हृदय में समझ हो तो सब कुछ पल में छूट जाता है।
एक घटना मेरे साथ हुई। मैं जबलपुर में था, १९९७ की बात है। एक छोटा सा बच्चा, उम्र होगी ३.५ साल की उसके जेब में फाइव स्टार चॉकलेट थी । मैंने पूछा ‘बेटा तुम फाइव स्टार खाते हो?’ ‘हाँ खाता हूँ।’ ‘किसने दिया?’ बोला- ‘चाचा ने दिया।’ ‘अच्छा बताओ इसमें क्या होता है?’ ‘नहीं पता।’ ‘बताते हैं उसमें नॉनवेज भी होता है’- मैंने केवल इतना कहा, उस साढ़े तीन साल के बच्चे ने मेरी बात सुनी और कहा- ‘मैं अभी आया।’ मैंने सोचा पता नहीं, उसको कुछ बुरा लग गया होगा। बाहर गया और १ मिनट के अन्तराल में आया, देखा जेब में वह चॉकलेट नहीं था। हमने पूछा ‘क्या बात है, उसे कहाँ रख दिया?’ ‘मैंने फेंक दिया, आज के बाद कभी नहीं खाएँगे।’ ये एक छोटे से बच्चे के संस्कार और आज के ये पढ़े-लिखे लोग कहते हैं – ‘अरे यह सब तो चलता है।’
जिनके हृदय में संवेदना होती वह कभी ऐसी भूल नहीं करेंगे और जो व्यक्ति संवेदनहीन है उनसे हम क्या अपेक्षा करें? मैं कहना चाहूँगा कि कोई भी खाने-पीने की सामग्री आप जब भी यूज करें, उसका उपयोग करें, एक बार उसके ई-नंबर को जरूर देखें। इंटरनेट पर सारी सुविधायें उपलब्ध हैं, आप उसका प्रयोग करके लें। ऐसा नहीं है कि आपके खाने लायक चीजें नहीं है, बहुत सारी चीजें हैं और कई लोग तो अब उसी तरह के प्रोडक्ट को प्रोत्साहित करने लगे हैं जो पूरी तरह शुद्ध हों। उन्हें खोजें और उनका ही उपयोग करें, खुद के लिए भी, अपने बच्चों के लिए भी। एक बात ध्यान रखें, यह केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं, आपके स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बहुत लाभकारी है क्योंकि इन सब चीजों में हिंसा आपकी भी हिंसा का कारण बनेगा, आपको कहीं न कहीं से बीमार करेगा। आपके सामने समस्याएँ पेश करेगा तो आपको चाहिए कि अपने जीवन को हम समस्याओं से बचायें, इन सब बातों का ध्यान रखें।
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