आजकल हम देखते हैं कि सम्मेद शिखर जी की वन्दना करने के लिए जब लोग जाते हैं तो मौजे, anklet वगैरह पहन कर जाते हैं, पानी की बोतलें लेकर जाते हैं तो क्या यह सही है?
जब से मार्ग कंक्रीट का हो गया तो लोगों को असुविधा होने लगी और वे नंगे पाँव चल नहीं पाते हैं। मैं कहता हूँ कि जूते-चप्पल की अपेक्षा वह anklet ठीक है। और जो बोतल लेकर जाते हैं तो कम से कम ऊपर खरीदने की अपेक्षा नीचे से लेकर जाना ठीक है। पर कोशिश करनी चाहिए कि जब तक पूरी वन्दना न हो तब तक हम कुछ न लें। अगर इतना सत्त्व नहीं है, तो इतना करें कि ‘हम अगर लेते भी हैं तो पानी ही लेंगे उसके अलावा कुछ नहीं लेंगे और पानी भी लेंगे तो अपने हाथ से ले जाया हुआ शुद्ध पानी लेंगे’ तो काफी कुछ असाधना से बच सकते हैं।
बोतल को खाली करके नीचे लाएँगे, ऊपर पर्वत पर नहीं फेकेंगे। जितने लोग भी सम्मेद शिखर जी जाते हैं तो पर्वतराज की पवित्रता को बचाने का प्रयास कीजिए और वहाँ रंच मात्र भी गंदगी मत फैलने दीजिए बल्कि हो सके तो अपने साथ कुछ गंदगी नीचे बटोर कर ले आइए ताकि उसकी पवित्रता को बरकरार रखा जा सके।
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