दशलक्षण पर्व में सांस्कृतिक कार्यक्रम करवाना कहाँ तक उचित है?

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दशलक्षण पर्व में सांस्कृतिक कार्यक्रम करवाना कहाँ तक उचित है?

शंका
समाधान

ज्यादातर सांस्कृतिक कार्यक्रम होते है वो हमारी संस्कृति के विरुद्ध चले जाते हैं। मुझे इस तरह के पसन्द नहीं है। सांस्कृतिक कार्यक्रम का मतलब क्या है? ऐसे कार्यक्रम जिससे कुछ अच्छी प्रेरणा मिले, जीवन में कुछ अच्छा घटित कर सकें, कुछ अच्छा निर्माण कर सकें। तो ऐसी प्रेरणा के लिए आप कुछ घटित कर सकें, निर्माण कर सकें ऐसा प्रयास होना चाहिए। तो सांस्कृतिक कार्यक्रम उसी अनुरूप होना चाहिए।

प्रायः जितने भी कार्यक्रम होते हैं वह सब टीवी की नकल होती है और इसमेंं अनेक प्रकार के राग-द्वेष के भी कार्यक्रम हो जाते हैं, मुझे इस तरह के कार्यक्रमों में रुचि नहीं। सच्चे अर्थों में सांस्कृतिक कार्यक्रम करना है, तो हमारी पुराण कथाओं पर आधारित नाटक-नाट्यिकाएँ आप प्रस्तुत कर सकते हैं, भजन आदि का कार्यक्रम कर सकते हैं। अन्य कार्यक्रम करें जिसमेंं भावों की विशुद्धि बढ़े, राग-द्वेष न बढ़े। तब तो वह सांस्कृतिक कार्यक्रम है। और जिनमें खींचातानी है, मैं समझता हूँ वो हमारे लिए नुकसानदेह है। पर्युषण जैसे पर्व के मौके पर कई-कई बार तो यह दिखता है कि सांस्कृतिक कार्यक्रम के चक्कर में लोग रात्रि में आते हैं और जो विद्वान् आते है लोग ढंग से उनके प्रवचन को भी नहीं सुन पाते। मुझे ये सब पसन्द नहीं इसलिए मैं कभी भी सांस्कृतिक कार्यक्रम कराना ही नहीं चाहता।

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