क्या शादी के निमंत्रण कार्ड में “मंगलम भगवान वीरो” आदि लिखना चाहिए? क्योंकि वह कार्ड अजैन के पास भी जाता है और वह कार्ड का दुरुपयोग भी कर सकते हैं। शादी में जो चटाई उपयोग होती है, उस चटाई में झूठन, पान की पीक, कुत्तों का मल् आदि सब कुछ होता है। क्या उस चटाई को प्रवचन सभा में अथवा विधान में बिछाना ठीक है?
जहाँ तक पहला सवाल है, यह जो कार्ड शब्द है, विदेशी है। हमारे यहाँ कुमकुम पत्रिका अथवा मंगल पत्रिका कहते है। मंगल पत्रिका हमारे देश की पुरातन परम्परा रही है, और इष्ट के नमस्कार पूर्वक ही हम किसी को आमंत्रण देते थे, पुराने जमाने की मैंने कई पत्रिकाएँ देखीं, जो विवाह की पत्रिका भी है और धार्मिक आयोजनों की पत्रिका भी है, मैंने संजय शर्मा संग्रहालय, जयपुर में विवाह की बहुत लम्बी चौड़ी पत्रिकाएँ देखी थीं, वह रोल में चलती थीं। यह हमारी पुरानी परम्परा थी कि इष्ट के स्मरण के साथ पत्रिका भेजते थे, तो जब वह पत्रिका आपके हाथ आई, आपने पत्रिका पढ़ी, तब सबसे पहले इष्ट का स्मरण किया यह माँगलिक प्रतीक के रूप में था। अब उसका स्थान कार्ड ने ले लिया, पहले वह पत्रिका लोग सम्भाल कर रखते थे। अब कार्ड है, तो इधर-उधर फेंक देते हैं, फेंक देने में अविनय होता हैं, अगर इन सब चीजों को कार्ड में छापते हैं तो ये अच्छी बात है, लेकिन उसका गलत इस्तेमाल न हो, इस बात का ध्यान रखना चाहिए। ये तो आपको खुद समझना चाहिए।
दूसरी बात चटाई की, तो टेंट हाउस वाले से इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि शादी ब्याह के आयोजनों में प्रयुक्त सामग्री का धार्मिक आयोजनों में प्रयोग न हो, एवं नए चटाई का प्रयोग करें ताकि वह शुद्ध हो, जिससे धार्मिक पूजा विधान और धार्मिक अनुष्ठानों की शुद्धता कायम रहे।
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