शंका
धर्म करने के लिए किसी व्यक्ति का सामाजिक होना कितना आवश्यक है?
समाधान
देखिये! धर्म अलग चीज है और सामाजिक होना अलग चीज है। सामाजिक व्यक्ति सामाजिक कार्य करता है, धार्मिक व्यक्ति धर्म करता है। धर्म करने के लिए सामाजिक होना जरूरी नहीं है। हम लोग कहाँ सामाजिक हैं? हम धर्म करते हैं। आपको णमोकार जपना है, ये आपका धर्म है; आपको व्रत-उपवास करना है, ये आपका धर्म है; आपको त्याग-तपस्या करना है, यह आपका धर्म है; इसके लिए सामाजिक होना आवश्यक नहीं है, किन्तु सामाजिक व्यक्ति की सहायता से धर्म करने में अनुकूलता हो जाती है।
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