समाज में आजकल पंचकल्याणक या अन्य अनुष्ठानों पर जो पैसा खर्च हो रहा है, इसके साथ अगर समाज हॉस्पिटलों या स्कूलों पर ध्यान दे तो अच्छा रहे।
समाज में सब अच्छे कार्यों की आवश्यकता है और हर अच्छे कार्य को लोग कर भी रहे हैं, करना भी चाहिए पर आप कभी भी इस कार्य की जगह यह कहें, यह कहना ठीक नहीं।
धार्मिक क्रियाओं का अपना महत्त्व है, उससे लोगों की भाव धारा बढ़ती है, विशुद्धि बढ़ती है, जीवन में व्यापक परिवर्तन आता है। इन सब चीजों को वो ही समझ सकते हैं जो इसका अनुभव करते हैं। इनकी महत्ता को हम कम नहीं आँक सकते। हॉस्पिटल आदि जनहित के कार्यों की आवश्यकता है, लोग करें। हॉस्पिटल जैसे कार्यों के लिए मैं इसलिये प्रेरणा नहीं देता क्योंकि पुराने अनुभव अच्छे नहीं हैं। आज हॉस्पिटल एक इंडस्ट्री हो गई है, हॉस्पिटल खोलना सरल है चलाना बहुत कठिन है। चैरिटी अस्पताल को चलाने में चलाने वालों को पसीने आ जाते हैं, कई जगह के अनुभव हैं।
सागर में भाग्योदय खुला 10-12 साल तक depreciation (ह्रास) में चला। राँची में हॉस्पिटल खुला, हमारे सानिध्य में उसका शिलान्यास हुआ था अन्ततः उस अस्पताल को मेडिका के साथ टाई-अप करके joint venture (संयुक्त उद्यम) में देना पड़ा था, अब वे चला रहे हैं। आज छोटे-मोटे अस्पताल आदि को खोलने या चलाने से कोई फायदा नहीं और बड़े हॉस्पिटल को चलाना बहुत कठिन है। बहुत व्यावहारिक कठिनाइयाँ हैं। हम लोगों को इस तरह के कार्य करने की जगह जिन लोगों को medical aid (चिकित्सीय सहायता) की जरूरत है उनको medical aid (चिकित्सीय सहायता) देने का प्रयास करना चाहिए। इस तरह के कार्य करें, बहुत लाभ होगा।
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