शंका
धर्म में भगवान को कर्ता नहीं माना गया है। फिर भी उनसे कुछ माँगना कहाँ तक उचित है?
समाधान
भगवान कर्ता नहीं है, हम फिर भी माँगते हैं। वो कहते हैं कि ‘माँगने की आदत मेरी जाती नहीं!’ ये मन की दुर्बलता है। भगवान से कुछ माँगो नहीं, अपने आप मिलेगा। पेड़ के नीचे जाने के बाद छाया माँगनी थोड़े ही पड़ती है, छाया तो स्वतः मिल जाती है।
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