किसी के बुरे व्यवहार को समता से सहना उसका पुण्य है या हमारा?

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शंका

यदि कोई हमारे साथ बुरा व्यवहार करता है और हम उसको समता से सहन करके उसके प्रति अच्छा व्यवहार रखते हैं तो यह उसके पुण्य का उदय होगा या हमारे धार्मिक संस्कार?

समाधान

मैं इसे इस तरीके से लेता हूँ, अगर किसी ने आप के प्रति बुरा व्यवहार किया और आपने समता रखी और उसकी प्रतिक्रिया नहीं की तो वह आपके पाप के क्षय का कारण बन गया। उसके पुण्य का उदय हुआ कि नहीं हुआ यह मुझे नहीं मालूम। उसको क्या हुआ यह मत सोचो, हम को क्या मिला यह समझें। तुम्हारे पाप का क्षय तो हो गया और याद रखना आप के पाप का क्षय हुआ तो हम कहते हैं न कि आँगन में बारिश होती है तो दालान में उसकी बौछार भी आ ही जाती है आपके पाप का क्षय होने से यह समझ लो, वह भी थोड़ा बहुत पाप से बच गया। क्यों बचा? क्योंकि बात विवाद में परिवर्तित नहीं हुई।

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