क्या बाहरी आलंबनों से शुभ-अशुभ में परिवर्तन संभव है?

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शंका

आजकल हम अन्धविश्वासों से घिरे हुए हैं। हम लोग कुछ भी काम करने से पहले किसी अंधविश्वास का सहारा लेते हैं; बाद में उसका परिणाम आने पर हम यह कहते हैं ‘जो लिखा होता है वही होता है।’ क्या किसी कुछ घटित होना, किसी  वस्तु पर निर्भर करता है? अगर नहीं करता तो इसमें हमारी कर्मों की क्या भूमिका रहती है?

समाधान

कुछ चीजें ऐसी होती है जो अपने-अपने नियमों के अनुसार होती हैं। लोगों के मन की दुर्बलता होती है कि वो प्राय: इन सब चीजों के लिए बहुत जिज्ञासा रखते हैं। अभी कुछ दिन पहले एक डाक्टर दम्पत्ति मेरे पास आए, उनकी पत्नी गर्भवती थीं, दो-ढाई महीने का गर्भ हो चुका था। मुझसे आकर के आशीर्वाद चाह रहे हैं कि ‘महाराज! आशीर्वाद दो कि हम को बेटी हो जाए।’ हमने कहा- ‘अब मेरे आशीर्वाद से तो कुछ होना नहीं है, तुम्हारे पेट में ढाई महीना पहले जीव आ गया। अब ढाई महीना पहले जो जीव आया, वही होगा। बेटी होगी तो बेटी और बेटा होगा तो बेटा होगा। तुम पढ़े- लिखे होने के बाद मेरे पास इस भाव से आए हो, ऐसा कोई चमत्कार है क्या जो पेट में पलने वाले बेटे को बेटी और बेटी को बेटा बना दे? ऐसा कोई चमत्कार नहीं है, यह तुम्हारे मन की दुर्बलता है। तुम्हारे पेट में बेटी है या बेटा मुझे नहीं मालूम, इतना पता है कि तुम्हारे पेट में वो एक भव्य जीव है उसका ठीक ढंग से पालन-पोषण करो, अच्छे से जन्म दो, तुम्हारे कुनबे का उद्धार कर सकता है, बेटी भी कर सकती है और बेटा भी कर सकता है।’ ‘महाराज जी, आप लोगों से बात करने के बाद थोड़ा अच्छा लगता है कि चलो महाराज ने आशीर्वाद दे दिया तो ९ महीने का जो बाकी समय बचा है उतने दिन निश्चिन्त रहेंगे।’ 

नहीं! निश्चिंतता का सही रास्ता अपनाओ, जिसका मन दुर्बल होता है वो ७० मढ़िया पूजने जाता है, कर्मकांडों में उलझता है और जिसका मन मजबूत होता है कर्म सिद्धान्त पर विश्वास रखकर के चलता है। वैसे तो मैं अन्धविश्वासों में यकीन नहीं करता इसलिए आपके जीवन में जब भी कुछ हो, अपने मनोबल को मजबूत करो, दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ अपने जीवन को आगे बढ़ाओ, अशुभ भी शुभ में परिवर्तित हो जाएगा।

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