क्या प्रेम विवाह करना उचित है? इसमें कोई दोष तो नहीं है?
एकदम स्पष्ट बात है, जिसे आजकल लोग प्रेम कहते हैं, वह प्रेम है या यौवन में उभरते वासनात्मक आवेग का आकर्षण? इसे बहुत गंभीरता से विचारना चाहिए। यह कोई प्रेम नहीं होता। शादी के पहले लोग प्रेम विवाह करते हैं और शादी के बाद हालत खराब हो जाती है। अभी कुछ दिन पहले एक बहन मेरे पास आई, उसने आज से ८-१० साल पहले एक चौरसिया लड़के से शादी कर ली। वह अपनी व्यथा मुझसे साझा कर रही थी। वह चैनल के कार्यक्रम को नियमित रूप से सुनती भी है। मैंने उस लड़की से पूछा कि “यह बताओ तुम अपने निर्णय से सन्तुष्ट हो?” “महाराज मुझे लगता है कि मैंने अपनी जिंदगी में भयानक भूल कर दी। मैंने बहुत कुछ खो दिया।” मैंने कहा, “तुम जिस प्रेम में पागल होकर अपने माँ-बाप परिवार सब की उपेक्षा, धर्म की उपेक्षा करके उसके साथ जुड़ी, आज वह प्रेम है?” “महाराज प्रेम तो खत्म हो गया, बस रिश्ता भर है जिसमें केवल formality (औपचारिकता) है”, उसने बेबसी के साथ कहा। मैंने कहा, “आज कोई लड़की यदि किसी के मोह में पड़कर के प्रेम विवाह करना चाहेगी, तो तुम क्या सलाह दोगी?” “मैं उससे कहूँगी कि जिंदगी में ऐसी भूल भरी घटना कभी मत घटित होने दो। ऐसा कदम कभी मत उठाओ।” यह है प्रेम विवाह का चरित्र।
धर्म की बात छोड़ दीजिए, अमेरिका में एकदम खुलापन है, उन्मुक्तता है। अमेरिका में सबसे ज्यादा affairs होते हैं, पर अमेरिका के आंकड़े बताते हैं कि प्रतिदिन १५,००० डायवोर्स होते हैं! कहाँ है प्रेम? इसलिए इन चक्कर में मत पड़ो। प्रेम विवाह मत करो, हाँ,विवाह करके प्रेम से रहो!
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