साधुओं द्वारा एसी-हीटर का उपयोग क्या उचित और इसका दोष समाज को लगेगा?

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शंका

साधुओं द्वारा एसी-हीटर का उपयोग क्या उचित और इसका दोष समाज को लगेगा?

समाधान

हम साधु बने क्यों? हमें पहले तो ये सोचना चाहिए! यदि सुविधा भोगने के लिए हम साधु बने तो सुविधाएँ तो घर में हैं, आप घर में ही रहो निकलने की जरूरत क्या? साधु बने हो, बहुत तपस्या नहीं कर सको, कोई बात नहीं पर कम से कम मूल गुणों को बाधित तो मत करो। विवेकी गृहस्थ भी २४ घंटे ए.सी में रहना पसन्द नहीं करता; बल्कि ए.सी. को avoid (टालता) करता है और साधु बनकर के हम ए.सी, कूलर, पंखे का उपयोग करने लगे, ये कहाँ तक उचित है? हमें सहन करना चाहिए, बर्दाश्त करना चाहिए। ये हो सकता है कि यदि हमसे सहन न हो, तो हम खुले धूप के नीचे न रह करके किसी बहुमंजिला मकान के नीचे तल में रह ले, तल घर में रह लें। सर्दी बर्दाश्त नहीं हो सकती, बंद कमरे में रह लें, लेकिन उसकी जगह ए.सी. चलाएँ या हीटर चलाएँ, यह श्रावध्य है और श्रावध्य के साथ साधना करना उचित नहीं।

श्रावकों को भी साधुओं की चर्या निर्दोष पलानी चाहिए। अगर श्रावक साधु की चर्या में दोष का निमित्त बनता है, तो वह साधु श्रावक के लिए भी अच्छी बात नहीं मानी जाती। इसलिए मन्दिरों में साधुओं के रहने के ऐसे स्थान बनाने चाहिए ताकि वह सर्दी-गर्मी को बर्दाश्त कर सकें और अपनी चर्या का निर्बाध रूप से पालन कर सकें।

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