हम अपने धर्म, त्याग, और तपस्या के द्वारा अपना और अपनी आत्मा का कल्याण कर सकते हैं। मदर टेरेसा ने समाज के कल्याण के लिए, विश्व के कल्याण के लिए बहुत काम किये। गरीबों और असहायों के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। विश्व और समाज के कल्याण करने के बावजूद, क्या मदर टेरेसा स्वयं का कल्याण कर पाईं?
आपके प्रश्न का आशय है कि आत्मा के कल्याण के लिए क्या केवल त्याग और तपस्या का मार्ग है या मदर टेरेसा की तरह सेवा के मार्ग से भी अपना कल्याण किया जा सकता है?
आत्मा के कल्याण का जो मूलभूत रास्ता है, वह आत्मा का आत्मा के साथ केंद्रीयकरण है। जब हम प्रवृत्ति में जिएँ, तो सेवा में रहें। परसेवा प्रवृत्ति है, आत्मसेवा निवृत्ति है। व्यक्ति का, अपनी आत्मा के साथ केंद्रीयकरण होता है, तब वह परमात्मा बन पाता है। परमात्मा बनने का मतलब पुण्य-पाप से ऊपर उठ जाना और सेवा करने का मतलब पुण्य करने का पुण्य कार्य करना।
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