क्या सत्य दिखता है?
सत्य दिखने की चीज नहीं है, अनुभव करने की चीज है। वह हमारे भीतर का तत्व है, वह परम सत्य है। वह देखा नहीं जाता केवल अनुभव किया जाता है। मैं आप से पूछूं- बाप बड़ा है कि बेटा? बेटा पैदा होने के पहले बाप बनता है क्या कोई ? जब तक बेटा पैदा नहीं होगा, कोई बाप नहीं बन सकेगा तो बाप ने बेटे को जन्म दिया कि बेटे ने बाप को जन्म दिया कि दोनों ने एक दूसरे को जन्म दिया? बस यह सत्य है, जो कहने में नहीं आता, अनुभव में आता है।
दूसरी बात हम सत्याचरण की बात करते हैं, हमारा सत्याचरण यह कहता है कि सच बोलो पर ऐसा सच मत बोलो जो किसी को चुभे। सच बोलने के साथ प्रिय बोलो।
सत्यम ब्रूयात, प्रियं ब्रूयात ना ब्रूयात सत्यम अप्रियं,
ना नितम च प्रियम ब्रूयात इश धर्म च सनातम
सच बोलो, झूठ मत बोलो, अप्रिय सच मत बोलो, प्रिय झूठ मत बोलो, यही सत्य का सही स्वरूप है। ऐसा करोगे तो कभी दिक्कत नहीं। लोग कहते हैं मैं तो कड़वा सच बोलता हूं, ध्यान रखना, सच में कड़वाहट नहीं है, जहां कड़वाहट है वह झूठ है। सच तो वो है जो कड़वाहट को भी अच्छा बना दे।
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