शंका
सुबह-सुबह घास पर चलना क्या धर्म की दृष्टि से उचित है?
समाधान
इलाज की दृष्टि से बात करो, तो ये डॉक्टर की सलाह है और धर्म की दृष्टि से बात करो तो एक हिंसा है। जिनमें थोड़ा विचार और विवेक है, उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। पर जो इस तरह के विचार-विवेक से शून्य हैं, वे लोग ऐसा करते हैं।
घास पर चलने से त्रस हिंसा तो नहीं होती, पर स्थावर हिंसा ज़रुर होती है। इसलिए मेरी राय में तो यह है कि कितना भी घास पर चलो, जब समय आता है तब चश्मा लगाने वाले को चश्मा लगाना ही पड़ता है और बहुत से ऐसे योगी होते हैं, जो इन सब से दूर रहते हैं और अन्त तक उनको चश्मा नहीं लगता। तो ये अपने अन्दर की दृढ़ता है। हमारे अन्दर संवेदना होनी चाहिए और संवेदना की अभिव्यक्ति आँखों के ही माध्यम से होती है। यदि यह संवेदना होगी तो आपको इस तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
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