मन और ज़ुबान में सामंजस्य रखें!

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शंका

मन और ज़ुबान में सामंजस्य रखें!

समाधान

देखिये, यह संयुक्त परिवार में ही नहीं है; सब जगह है। मनुष्य के जीवन व्यवहार में जब सामंजस्य होता है, तो मन और ज़ुबान में अपने आप सामंजस्य हो जाता है। व्यक्ति के हृदय में दो बातें होनी चाहिए, चाहे परिवार हो या समाज। पहला- गुण सहिष्णुता; और दूसरा- उदारता। यह दोनों गुण तुम्हारे हृदय में हो; तो तुम दूसरों के बारे में कभी नेगेटिव नहीं सोच सकते। फिर कुछ भी होगा पॉजिटिव ही होगा। और ऐसी स्थिति में रहने वाला मनुष्य सब को बांध कर रख सकता है, सबको अपना के रह सकता है और सब को अपना बना के रह सकता है।

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