किसे बनायें मित्र?
मित्रता की परिभाषा श्रीकृष्ण और सुदामा से सीखें। आजकल तो फ्रेंड शब्द में हम कहीं इतने खो गये हैं कि हमने मित्रता को भुला सा दिया है और इसके परिणाम स्वरूप समाज अथवा युवा पीढ़ी को सर्वाधिक हानि हो रही है।
मित्र किसे बनायें?
1 मित्र उसे बनायें जो आपको अच्छी प्रेरणा दे जिसके साथ रहने से आपको अच्छी प्रेरणा मिले। जो आपको आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करे।
2 मित्र वह ही अच्छा है जो आपकी दुर्बलताओं को दूर करके आपकी अच्छाईयों को उभारने में सहायक बने। जो आपके संकट में काम आ सके। जिसके आचार विचार अच्छे हो। ऐसे व्यक्ति को मित्र कभी न बनायें, जो आपको गलत रास्ते पर लें जाए।जो केवल मौज मस्ती के लिए आपके साथ जुड़ना चाहता है।
मित्र कौन होता है?
वस्तुतः मित्र वही होता है जो आपकी हर स्थिति में आपको साथ दे। जिससे आप मित्रता रखें, यह देखे की उसके विचार कैसे हैं? उसका आचार कैसा है? क्या वह आपको आगे बढ़ने के लिए उत्साहित करता है या हतोत्साहित करता है? आपकी दुर्बलता को दूर करने के लिए सहायक बनता है या आपको दुर्बलता की ओर ढकेलता हैं। आपकी अच्छाईओं को उभारने में निमित्त बनता है या उन्हें नष्ट करने में उतारू होता है? आप इन बातों को देख करके किसी व्यक्ति से मैत्री बनाने की कोशिश करें।
मित्रता कैसे निभायें?
आप किसी भी व्यक्ति से मित्रता निभायें उसके सुख दुःख के साथी बनें। उसे आगे बढ़ाने में सहयोगी बनें लेकिन अपनी मित्रता के नाम पर आप अपने उसूलों को खण्डित न करें। जो व्यक्ति आपके माता-पिता और गुरुजन की आज्ञा की अवमानना करने को प्रेरित करे वह मित्र कहलाने लायक नहीं होता।
Edited by Palak Jain Sogani, Bhopal
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