पुण्य-पाप के स्तर
Levels of virtues and sins
जीवन में हम कर्मों का फल पुण्य एवं पाप के रूप में भोगते हैं। पुण्य वह विशेष ऊर्जा अथवा विकसित क्षमता है, जो भक्तिभाव से धार्मिक जीवनशैली का अनुसरण करने से प्राप्त होती है। पाप बुरे कर्म का फल है, जिससे हमें दुख मिलता है । सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर जी द्वारा पुण्य पाप के स्तर
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