हमारे समाज में कुछ परिवार ऐसे हैं जिनका income level (आय स्तर) कम है। जब उनकी स्थिति खराब हो तो ऐसे में जो मन्दिर में फंड या दान आता है, उसमें से थोड़ा सा फंड वहाँ जाना चाहिए या नहीं?
अगर किसी आदमी की हालत कमजोर है, तो उसे मज़बूती प्रदान करने की भरसक कोशिश करनी चाहिए, हर संभव उपाय करना चाहिए। इसके लिए मन्दिर के ही फंड को लगाने की आवश्यकता नहीं है, समाज में कुछ ऐसा फंड होना चाहिए जो साधर्मियों के लिए लगाया जाए।
मन्दिर का राशि देव द्रव्य है; यदि आप देव द्रव्य किसी और के लिए लगाएं भी तो उसका कल्याण नहीं होगा, अपितु वह दुर्गति का कारण बन जाएगा। इसलिए देव द्रव्य का प्रयोग कभी किसी साधर्मी के उत्थान में न लगाएँ। हम साधर्मी के उत्थान के लिए, साधर्मी के विकास के लिए (Fund) तैयार करें। उसके लिए एक प्रयोग किया जा सकता है। मन्दिरों में भी इस तरह की व्यवस्था रखी जानी चाहिए जिसमें साधर्मी-मदद के नाम से एक अलग गुल्लक या मदद बना दिया जाए, जिसमें लोग उसी नाम से दान रखें। जो देव द्रव्य या देव पूजा के नाम पर लिया जाता है, उसे देना उचित नहीं है।
आज भी समाज में बहुत सारे लोग हैं जो समाज के कमजोर लोगों की सहायता के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। मैं लोगों से कहना चाहता हूँ, हर सक्षम व्यक्ति अपने जीवन में केवल एक अक्षम व्यक्ति को सक्षम बनाने का संकल्प ले, हमारी समाज बहुत उन्नत हो जाएगी। आपको ज्यादा कुछ नहीं करना; “अपने जीवन में एक अक्षम व्यक्ति को सक्षम बना करके छोडूँगा”, यदि इतना संकल्प लो तो तुम्हारा कुछ नहीं बिगड़ेगा, समाज बहुत आगे बढ़ जाएगी और यह प्रयास उदारता पूर्वक करना चाहिए।
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