कर्ज़ा लेकर न चुकाना आपकी नीचता दर्शाता है!

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शंका

कुछ लोग जब किसी को कर्ज़ा देते हैं, और वापस नहीं पाते, तो वे कहते हैं कि ‘हमने इनसे पूर्व जन्म में कुछ लिया होगा, इसलिए हमें वापस नहीं मिला।’ तो ये कहाँ तक सही है?

समाधान

ये तो ऐसा उपाय है कि कोई किसी की हत्या कर दे, और ये कहे कि ‘इसने मेरी पूर्व जन्म में हत्या की थी इसलिए मैंने इसकी हत्या कर दी।’ ये क्या तरीका है? ये तो बड़ा गड़बड़ है। ऐसा कर्म सिद्धान्त यदि मान लें तो हिन्दुस्तान का तो बड़ा बुरा हाल हो जाएगा। ऐसा कभी नहीं सोचना। लेकिन इस सिद्धान्त को मानो कि कोई आपका रुपया खा जाए और दे न पाए-देने की स्थिति में न हो अथवा देने की नियत न रखता हो। इन दोनों ही स्थितियों में, यदि देने की स्थिति में न हो तो आपको माँगना ही नहीं चाहिए और यदि देने की नियत नहीं रखता हो तो अपने मन को इस भाव से समझा लो कि शायद मैंने उसका कभी खाया होगा आज उसने खा लिया, हिसाब बराबर। ये तब तक कि जब आपने दिया हो और आप उसके लेनदार हो, देनदार नहीं। आपको उससे लेना है, वो नहीं दे पा रहा है तब आप ये सोचते हो तो ये ठीक है। लेकिन आपने उसका लिया और कह रहे हो कि पिछले जन्म में लिया था तो सही नहीं।

व्यापार में यदि आपका किसी से लेन-देन होता है, तो अगर आपने किसी से कुछ लिया है और आप उससे कहो कि ‘भाई आपने दो बरस पहले या पाँच बरस पहले हमसे लिया था, आज हिसाब बराबर हो गया।’ यदि उसने पिछले जन्म में लिया था, तो निकालो एकाउन्ट बुक! निकालकर अगले को दिखा दो। वो सन्तुष्ट हो जाएगा। तुम्हारे पास कोई बहीखाता है पिछले जन्म का? जब पिछले जन्म का बहीखाता नहीं है, तो फिर कैसे बात करते हो?

इसलिए ये सब बातें अच्छी नहीं है। ये कृतघ्नता है, ये नीचता का द्योतक है। ऐसे व्यक्ति पर कभी भरोसा मत करना। और एक बात बता दूँ। ऐसे अमानत में खयानत करने वाले व्यक्ति का नरकायु का बन्ध होता है। अशुभ नाम कर्म का बन्ध होता है। वो महादुर्गति का कारण बनता है। अगर किसी दुर्भाग्य से चाहकर भी देने की स्थिति नहीं है, पैसा हाथ में नहीं हैं, तो भी देने की भावना रखो, कि ‘हे भगवन! मैं कर्ज़दार बनकर इस दुनिया से नहीं जाना चाहता हूँ। मेरे अन्दर यथासम्भव शक्ति आए कि मैं इसे चुका दूँ।’ कभी ये लब्ज़ अपने मुख से मत निकालो कि उसने पिछले जन्म में कभी मेरा खाया था इसलिए मैं उसका खा रहा हूँ।

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