धार्मिक जीवन साथी के प्रति हमारे कर्त्तव्य
बहुत भाग्यशाली है जिसकी धर्मपत्नी धार्मिक है, निश्चित वह भाग्यशाली इसलिए है की जिसकी जीवनसंगिनी धार्मिक होती है ना उसको फरमाइशें झेलने का अवसर नहीं मिलता क्योंकि धार्मिक महिलाओं की इच्छाएँ बहुत सीमित होती है तो उनके पति लोगों को ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ता| अब रहा सवाल अगर तुम्हारी पत्नी धार्मिक है तुममें इतना अधिक झुकाव नहीं है या संयम के प्रति इतना रुझान नहीं है तो तुम क्या करो, उनकी क्रियाओं में अनुमोदना करो, सहयोगी बनो, रोको मत और यह सोचो मैं नहीं सही वह तो कर रही है मैं कर रहा हूँ ठीक मेरा आधा अंग कर रहा है तो आधा हिस्सा तो मेरे खाते में आ ही जाएगा| उसको फूल सपोर्ट करो, कहीं से अन्तराय मत डालो तो देखो तुम्हारे जीवन में कैसे उन्नति आएगी और हो सकता है तुम्हारा पुण्य इतना गाढ़ा हो जाए की आज उसके पीछे हो कल उसके आगे आ जाओ और वह तुम्हारी वंदना कर ले यह भी सौभाग्य हो सकता है|
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