पति, पत्नी और पर्ची

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पति, पत्नी और पर्ची
(मुनि श्री प्रमाणसागर जी के प्रवचनांश)

पति-पत्नि में अनबन हो गयी। पति को कोई काम था,जिसके लिये सुबह पाँच बजे उठना था।पति की उठने की आदत आठ बजे की थी। पत्नि से बोलचाल बंद है बोलूँ कैसे? अहंकार बीच में आ गया इसलिये उसने एक कागज पर लिखकर रख दिया कि कल मुझे काम है पाँच बजे उठा देना। अगले दिन पति उठा नहीं। पत्नी ने उठाया नहीं। पति जब उठा तो आठ बज चुके थे। यह देख पति तमतमा उठा। उसने कहा – मैंने लिखकर रख दिया था और इसने मुझे उठाया नहीं। बड़बड़ाना शुरू किया। अन्ततः पत्नि से पूछा- तुमने मुझे उठाया क्यों नहीं? वह बोली- आपने जो कहा था वह कर दिया। क्या किया? बोली – तकिया के नीचे देखो। वहाँ एक कागज रखा था, जिस पर लिखा था कि पाँच बज गये हैं उठ जाओ।

इसी को बोलते हैं अहंकार। अहंकार के बीच में आ जाने से प्रियतम व्यक्ति से भी दूरियां बनने में समय नहीं लगता। अहंकार से बचकर सहजता को अपनाना ही जीवन है।

Edited by: Pramanik Samooh

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