शंका
पर्युषण में माँस बिक्री पर प्रतिबंध पर राजनीति उचित नहीं!
समाधान
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, ऐसा मुग़लों के युग में भी हुआ है और अन्य कालों में भी हुआ है। भारत में आज़ादी के बाद भी कई राज्यों में इस तरह का प्रतिबन्ध हुआ है।
मुझे अकेले राजस्थान के पिछले ५ साल का रिकॉर्ड देखने को मिला है, जिसमें इस तरह के प्रतिबन्धात्मक आदेश दिए गए। इसमें सुप्रीम कोर्ट की भी मोहर लगी है। इन सब बातों को राजनीतिक रूप देना उचित नहीं होता। हमें समाज में पारस्परिक सद्भाव का वातावरण बनाना चाहिए। यदि जीव हिंसा से बचने की बात की जाती है, तो यह समाज के निर्माण की ही बात है और अगर जीव हिंसा पर प्रतिबन्ध लगता है, तो बवाल मचाने की क्या ज़रूरत? बवाल तो तब मचना चाहिए जब हिंसा का बोलबाला होता है।
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