आदर्श बहू की विशेषताएँ!

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शंका

आदर्श बहू कैसे बन सकते है?

समाधान

सबसे पहली बात, अपनी ससुराल को अपना घर मानें। अपने ससुर को अपना पिता मानें और अपनी सास को अपनी माँ मानना शुरू करें। 

आदर्श बहू बनना चाहती हो तो सबसे पहले ‘यह मेरी ससुराल है’ दिमाग से निकाल दो। ‘मेरे हस्बैंड के पिता हैं’- यह कहना बंद करो; और ‘यह मेरे हस्बैंड की माँ हैं’- यह कहना बंद करो। अब मेरी माँ, अब मेरे पिता और अब मेरा घर मेरा सर्वस्व बस यही दर है और कुछ नहीं है, पहले मानसिकता में यह बनाओ फिर उसके बाद अपने दायित्वों का अच्छे तरीके से निर्वाह करो। एक बहू यानि एक गृहणी, गृहणी में चार विशेषतायें होनी चाहिए। सबसे पहली- पतिपरायणता– अपने पति के प्रति समर्पित हो। दूसरी बात कार्यकुशलता– अपने काम में किसी प्रकार की कमी न होने दे और कोई कामचोरी न करें, तत्परता से अपने काम करें। तीसरी बात-कुलीनता अपने कुलीन संस्कारों का पूरी तरह से ध्यान रखे, उसमें किसी भी प्रकार का दोष न लगने दे। कुलीनता अपने जीवन में जुड़ी रहे; और मितव्ययिता अपने पति की आय से अधिक व्यय न करें। मितव्ययिता एक अच्छी गृहणी और एक अच्छी बहू का गुण होता है। कुरल काव्य में लिखा है कि वही उत्तम सहधर्मिणी है जिसमें सुपत्नित्व के समस्त गुण समाहित हो और जो अपने पति के आय से अधिक व्यय न करती हो तो पतिपरायणता, कार्यकुशलता, कुलीनता, मितव्ययिता आवश्यक गुण हैं।

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