आज के युग में कुंडली का क्या महत्व है? क्या शादी से पहले चैटिंग सही?
आज के युग में जन्मपत्री ही अप्रासंगिक सी बन गई है। आप लोगों का जन्म जहाँ होना चाहिए वहाँ होता ही नहीं है। जयपुर से तीन सौ किलोमीटर दूर का कोई व्यक्ति है और जयपुर के अस्पताल में उसका जन्म हो रहा है और वह भी जन्म आजकल अधिकतर caesarean (शल्यक्रिया) से होता है। जन्मना था चार दिन बाद डॉक्टर ने सुविधा देख कर आज ही ऑपरेशन कर दिया। कई लोग ऐसे भी हैं जो जन्मपत्री पहले बनवा लेते हैं बच्चा बाद में जन्म लेता है। एक विसंगति और है, एक अस्पताल में ठीक एक ही समय में जितने बच्चे जन्म लेंगे किसी भी ज्योतिष की विद्या से सबकी कुंडली बिल्कुल समान बनेगी। बल्कि एक अस्पताल की बात तो दूर जयपुर जैसे शहर की जितनी भी कुंडलियाँ बनेगी समान बनेंगी, क्योंकि कुंडली इष्टकाल के ऊपर निर्भर करती है और इष्टकाल में अक्षांश और देशांतर निकाला जाता है।
अब बताइए, ऐसी स्थिति में जन्मपत्री की कितनी प्रासंगिकता होगी। कई लोग कहते हैं “आजकल ज्योतिष के फला देश फेल हो रहे हैं”, अब सिस्टम ही उल्टा हो गया तो फेल होगा ही। नैसर्गिक जन्म नहीं है, न स्थान, न काल तो जन्मपत्री सही कैसे होगी। जब जन्मपत्री सही नहीं है, तो जन्मपत्री मिलाने से फल सही कहाँ से निकलेगा।
अब रहा सवाल जन्मपत्री मिलाएँ बिना ब्याह संबंध हो जाते हैं, सफल हो जाते हैं, यह क्या है? आपकी और सामने वाले की विचारधारा मिलनी चाहिए। बातचीत और व्यवहार से ऐसा प्रतीत होना चाहिए कि “इस व्यक्ति के साथ हम अच्छी तरह निभा सकते हैं”, यह सबसे ज्यादा ज़रूरी है।
फिर आपने एक बात कही की जो चैटिंग करते हैं उनकी शादी सफल हो जाती है, चैटिंग में चीटिंग ज्यादा होती है। जब तक व्यक्ति को physically (भौतिक) ना देख लो कोई commitment (प्रतिबद्धता) मत करो।
धनबाद की घटना है, लड़का और एक लड़की नाम बदलकर महीनों से चैट पर थे। एक दिन दोनों ने आपस में तय किया “हम लोग एक दूसरे से कॉफी हाउस में मिलेंगे।” पहचानेंगे कैसे? एक दूसरे को देखा नहीं? लड़के ने कहा मैं व्हाइट शर्ट पहन लूँगा तुम लाल टॉप पहन के आना और जब दोनों एक दूसरे को देखे तो देख कर भोंचक्के रह गए क्योंकि दोनों सगे भाई बहन थे। यह चेटिंग का हाल है। इसलिए चेटिंग की बातें नहीं करना।
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