जैन धर्म की सही व्याख्या
Right explaination of Jainism
” जैन धर्म अर्थात ‘जिन’ भगवान् का धर्म। अहिंसा जैन धर्म का मूल सिद्धान्त है। जैन दर्शन में सृष्टिकर्ता कण कण स्वतंत्र है इस सॄष्टि का या किसी जीव का कोई कर्ता धर्ता नही है।सभी जीव अपने अपने कर्मों का फल भोगते है।जैन धर्म के ईश्वर कर्ता नही बल्कि मनुष्य के कर्म करता होते हैं।सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर द्वारा जैन धर्म की सही व्याख्या।”
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