शंका
आजकल मंदिरों में विधान आदि के आयोजन में म्यूजिकल पार्टी आती है, और फिल्मी गानों के ऊपर पूजा भजन होते हैं, क्या यह उचित है?
समाधान
ऐसा नहीं होना चाहिए और श्रोताओं को जागरूक होना चाहिए। पुण्य के अनुष्ठान में पाप के आस्रव का कोई निमित्त ना बने ऐसी सावधानी सदैव रखनी चाहिए। मौलिक गुणों के साथ पूजा करनी चाहिए। संगीत साधन है, साध्य नही!
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