प्रतिक्रमण का सही तरीका
Right way of Pratikraman
र्वकृत दोषों का मन, वचन, काय से कृत कारित, अनुमोदना से विमोचन करना पश्चाताप करना, प्रतिक्रमण कहलाता है इससे अनात्मभाव विल्य होकर आत्म भाव की जागृति होती है प्रमाद जन्य दोषों से निवृति होकर आत्मस्वरूप में स्थिरता की क्रिया को भी प्रतिक्रमण कहते हैं।
Leave a Reply