दृष्टि में मर्म जीवन में धर्म
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दृष्टि में मर्म जीवन में धर्म बीज की सार्थकता वृक्ष के रूप में विकसित होकर फलवान बनने में हैं। बीज धरती के गर्भ में समाहित होकर अंकुरित होता है, पल्लवित…

उन्नत मानसः उन्नत जीवन
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उन्नत मानसः उन्नत जीवन शांतम तुष्टम पवित्रं च सानंदनम इति तत्वतः। जीवनम् जीवनम् प्राहो भारतीय सुसंस्कृतम्।। कल जिस कारिका से मैंने अपनी बात की शुरुआत की थी। भारतीय संस्कृति में…

नज़र, नज़रिया और नज़ारे
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नज़र, नज़रिया और नज़ारे नदी की तेज धार बह रही थी। उस धार में दो तिनके थे। पहला तिनका धार को रोकने का प्रयास कर रहा था उससे जूझ रहा…

भय का भूत हवा-हवाई
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भय का भूत हवा-हवाई हमारे दुख के कारणों में एक महत्वपूर्ण कारण है- भय। भय, व्याकुलता, डर यह एक दूसरे के पर्यायवाची शब्द हैं। जब भी हमारे मन में किसी…

पत्थर अहम् का गलता नहीं
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पत्थर अहम् का गलता नहीं मैंने देखा, एक अंगीठी सुलग रही थी। लाल-लाल अंगारे दमक रहे थे। बड़ी तेज कांति और आभा थी उसमें। तभी एक अंगारे के मन में…

सरस जीवन की कला
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सरस जीवन की कला किसी व्यक्ति की तस्वीर बहुत सुंदर हो और एक्स-रे खराब हो तो उसे क्या कहेंगे? निश्चित वह व्यक्ति चिंता में पड़ेगा। आज दुनिया के लोगों पर…

जीवन बने आनंद सरोवर
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कहते हैं कि सम्राट सिकंदर जब विश्व विजय अभियान में निकला तो उसकी मुलाकात किसी संत से हुई। बातचीत के क्रम में संत ने पूछा- तुम्हारा कार्यक्रम क्या है? सिकंदर…

मनः पूतं समाचरेत
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दर्पण में आप अपना प्रतिबिंब देखते हैं। कब देख पाते हैं? जब दर्पण साफ और स्वच्छ हो। यदि दर्पण में कोई दाग धब्बे हो तो उसमें उभरने वाला प्रतिबिंब भी…

जीवन में खुशी कैसे अर्जित करें
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जीवन में खुशी कैसे अर्जित करें कहते हैं कि सम्राट सिकंदर जब विश्व विजय अभियान में निकला तो उसकी मुलाकात किसी संत से हुई। बातचीत के क्रम में संत ने…