मुझे परीक्षा के वक्त पढ़ाई पूरी होने के बाद भी बहुत डर लगता है, इससे कैसे बचें? मेरे पिताजी की नजरों में पढ़ाई ही सब कुछ है, उनके लिए संस्कार बिल्कुल मायने नहीं रखते, वह मुझे बिल्कुल संस्कार नहीं देते और उनको लगता है कि अच्छा करियर हो तो ही जीवन जीने का मतलब है ऐसी बातों से मुझे बहुत आत्महत्या करने के भाव आते हैं, मैं कैसे स्थिर रहूँ?
माँ-बाप बच्चों पर प्रेशर न डालें। आजकल जो एक फैशन चल पड़ा है अच्छे मार्क्स और अच्छे रैंक लाने का, उसके चलते बच्चों पर माँ-बाप बहुत ज़्यादा प्रेशर डालते हैं, उनके ऊपर अतिरिक्त दबाव आता है और इस दबाव के कारण ही वो जानते हुए भी भूल जाते हैं। हमारा उद्देश्य ज्ञान की वृद्धि का होना चाहिए, नंबर लाने का नहीं। अक्सर यह देखा जाता है कि जो लोग बहुत अच्छे रैंक होल्डर रहते हैं वह आगे जाकर के फिसड्डी हो जाते हैं और जो एवरेज होते हैं वो शिखर को छू जाते हैं। मैं अक्सर कहता हूँ कि आप अगर परीक्षा की जिंदगी में फेल भी हो जाओ तो कोई चिन्ता नहीं, जिंदगी की परीक्षा में कभी फेल मत होना। जो लोग परीक्षा की जिंदगी में पास होते हैं उनके ऊपर जब इस तरह का दबाव होता है प्राय: वह जिंदगी की परीक्षा में फेल हो जाते हैं। हमें वहाँ सावधान होना चाहिए। माँ-बाप का प्रेशर नहीं होना चाहिए और बच्चों को यह चाहिए कि ऐसा सोचें ‘हमने अपनी ज्ञान वृद्धि का लक्ष्य करके पढ़ाई की, हम पढ़ाई कर रहे हैं हमसे जो बनेगा लिखेंगे, लिखते समय किसी तरह का डर नहीं होगा।’
दूसरी बात अपने मन की घबराहट को कम करने के लिए अपने अन्दर सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाना चाहते हैं तो आप जब पेपर लिखना शुरू करें तो भगवान का नौ बार नाम लें और अन्दर गहरी श्वांस लें, फिर लेखनी चलायें। पहला शब्द जो आप लिख रहे हैं उस समय आपकी सांस भीतर होनी चाहिए। पूरक स्वर में यदि आप लेखन का कार्य प्रारंभ करते हैं तो आपकी वह परीक्षा बहुत अच्छी जाएगी, आपका कॉन्फिडेंस built-up होगा। यह बड़ा आज़माया हुआ अनुभव है। आप ऐसा कर सकते हैं इसमें डरना नहीं चाहिए, घबराना नहीं चाहिए।
पिता कहते हैं कि कैरियर ही है, तो सब कुछ है, नहीं तो कुछ नहीं। पर मैं यह कहना चाहता हूँ केवल पढ़ाई का नाम कैरियर नहीं है। केवल पढ़ाई करने से अगर कैरियर बनता होता तो आजकल के पढ़े-लिखे लोगों का, सबका कैरियर अच्छा हो जाता। आजकल हम देखते हैं कि बड़े-बड़े आतंकवादी हुए हैं जो उच्च शिक्षा से संपन्न हैं। वो करियर है या कितना बड़ा टेरर है, हम सब जानते हैं। यह सब चीजें ठीक नहीं हैं। पढ़ाई होनी चाहिए, पढ़ाई की जीवन में एक बहुत बड़ी महत्ता है लेकिन पढ़ाई को ही सर्वस्व नहीं मानना चाहिए और अपने कैरियर को बढ़ाने के साथ-साथ अपने जीवन को सब तरफ से मज़बूत बनाने का प्रयास करना चाहिए। जब तक हम अपने जीवन का सर्वांगीण विकास नहीं करते तब तक हम अपने जीवन के क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ सकते।
वे माँ-बाप अपनी सन्तान के शत्रु हैं जो उनकी पढ़ाई पर तो जोर देते हैं पर संस्कारों को भूल जाते हैं। वो बच्ची जिसके मन में अपने पिता के दबाव के कारण आत्महत्या करने का भाव हो रहा है, मैं समझता हूँ ऐसा व्यक्ति पिता कहलाने का अधिकारी नहीं, जो अपनी सन्तान पर ऐसा दबाब डाले जिस की वजह से वह आत्महत्या करने को उतारू हो जाए। हमें सीख लेनी चाहिए और अच्छे संस्कार डालना चाहिए। अगर हम संस्कार नहीं डालेंगे तो हमारा जीवन यूँ ही बर्बाद हो जाएगा। जो माँ बाप अपने बच्चों को और चीजें देते हैं, संस्कार नहीं देते कालान्तर में वे सन्तान अपने माँ-बाप के प्रति कभी वफादार नहीं हो पाती। हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए। तो संस्कार हमारे जीवन की मूलभूत पूँजी है और उसमें किसी भी प्रकार की कमी तो होनी ही नहीं चाहिये।
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