महिलाओं में ब्यूटी पार्लर का बहुत प्रचलन है। पर आजकल यह देखा गया है कि बहुत सी जैन महिलाएँ और पुरुष ब्यूटी पार्लर, हेयर कटिंग सलून का व्यवसाय करते हैं, तो क्या यह उचित है?
महिलाओं के द्वारा या पुरुषों के द्वारा साज-शृंगार की परिपाटी आज की नहीं है, पुरानी है। सोलह शृंगार की बात जो आती है वह प्राचीन काल में भी थी। स्त्री और पुरुष सब अपना शृंगार करते थे, तो शृंगार करने का मैं निषेध नहीं करता। पर मैं इतना ही कहता हूँ- शृंगार करो पर किसी का संहार मत करो! औरों का संहार करके किया जाने वाला शृंगार आत्मा का संहार है, आत्मा का पतन है इसीलिए ब्यूटी (शृंगार) का मैं निषेध नहीं करता, क्रुएलिटी (क्रूरता) के खिलाफ मैं ज़रूर हूँ। इसलिए beauty without cruelty (क्रूरता-रहित-शृंगार) को अपनाओ।
अब रहा सवाल जैनियों के द्वारा ब्यूटी पार्लर चलाना सुसंगत है या नहीं? हमारे शास्त्रों में जो जीविका के विधान निश्चित किए हैं उनके हिसाब से इस तरह का कर्म उचित नहीं है, ब्यूटी पार्लर जैनियों को नहीं खोलना चाहिए।
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