आपने एक दिन प्रवचन में बताया था कि “धन पर धर्म का नियंत्रण होना चाहिए”। क्या विज्ञान पर भी धर्म का नियंत्रण होना चाहिए?
अगर विज्ञान पर नियंत्रण हो गया तो वह खुद धर्म हो जाएगा! विज्ञान पर नियंत्रण हो या न हो वैज्ञानिक पर नियंत्रण होना चाहिए। अब वैज्ञानिक पर नियंत्रण होगा तो जो भी विज्ञान प्रकट होगा, वह सब नियंत्रित होगा। विज्ञान प्रयोगों के बल पर क्या देता है? हमें नई – नई सुविधाएँ देता है। विज्ञान का उपयोग करने वाले व्यक्ति के ह्रदय में धर्म नहीं हो तो बहुत गड़बड़ होगा।
आपके इस प्रश्न का उत्तर; मैं एक वैज्ञानिक अल्बर्ट आइनस्टाईन (Albert Einstein) के जीवन के सन्दर्भ से जोड़ कर देना चाहूँगा। अल्बर्ट आइनस्टाईन जब अपने जीवन के अन्तिम दौर से गुजर रहे थे तब किसी ने प्रश्न पूछा कि “आपने इतने बड़े बड़े अविष्कार किए, क्या आपके जीवन में कोई और खोज बाकी है?” उन्होंने कहा कि “जीवन के इस घड़ी में मैं एक ही बात समझता हूँ; मेरे जीवन की एक बहुत बड़ी खोज बाकी है।” उनसे पूछा कि, “क्या खोज बाकी है?” उन्होंने कहा, “जिस शक्ति के माध्यम से मैं सब चीज़ों को खोजता रहा उस शक्ति की खोज अभी बाकी है और उसके लिए मुझे भारत में जन्म लेना होगा।”
उसी आइनस्टाईन को एक बार यह प्रश्न किया गया; जो मैं मुख्य रूप से बताना चाहता हूँ कि “आपने atomic power (अणु शक्ति) की खोज की। क्या आप इस बात को दृढ़ता पूर्वक कह सकते हैं कि इसका प्रयोग केवल निर्माण में ही होगा?” तो आइनस्टाईन ने अत्यन्त दृढ़ता से कहा “हाँ, इस आणविक शक्ति का प्रयोग निर्माण में ही होगा, तब तक जब तक मनुष्य का दिल और दिमाग दुरुस्त होगा।” इसीलिए, विज्ञान भी हमारे लिए तभी वरदान बनेगा जब दिल और दिमाग दुरुस्त होगा और दिल और दिमाग को दुरुस्त करने की ताकत विज्ञान के पास नहीं है, वह धर्म के पास है।
विज्ञान ने हमें क्या दिया? विज्ञान ने आपको टीवी सेट दिया, विज्ञान ने आपको मोबाइल सेट दिया, विज्ञान ने आपको कंप्यूटर सेट दिया, सोफासेट दिया, डिनर सेट दिया और दिमाग को अपसेट कर दिया! तो दिमाग को सेट करने के लिए धर्म का आलम्बन लेना ही जरूरी है।
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