क्या शक्ति से ज्यादा दान देना चाहिए?

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शंका

कहते हैं कि यथास्थिति से ज्यादा दान देने से दान प्रबल हो जाता है?

समाधान

हमारे यहाँ शास्त्र में बताया है कि “शक्तितस्त्यागः, शक्तितस्तपः” अपनी शक्ति के अनुरूप ही दान देना, कर्जा लेकर कभी दान मत करना; और शक्ति के अनुरूप ही तपस्या करना। शक्ति को छुपाना मत और शक्ति का उल्लंघन मत करना। शक्ति का ठीक ढंग से परीक्षण करो। कई बार शक्ति होती है और आपको पता भी नहीं लगता। कोई आपसे कहे कि आप एक किलोमीटर तक चले जाओ तो आपके बस की बात नहीं है। जब आप पर्वत पर चढ़ कर आते हो तब आपको पता लगता है कि मेरे बस की बात क्या है? कई बार ऐसा होता है कि शक्ति होती है पर उसका मोह शक्ति को उजागर नहीं होने देता। तो शक्ति उजागर करो और शक्ति बढ़े ऐसी भावना करो।

कई बार ऐसा होता है, कि भावना होती है पर शक्ति नहीं होती है। वह व्यक्ति, भावना के बल पर बहुत कुछ कर लेता है पर कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके पास शक्ति होती है और भावना नहीं होती है। उनका जीवन कभी सफल नहीं हो पाता है। शक्ति को छुपाना नहीं और शक्ति का उल्लंघन नहीं करना।

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