रात्रि भोजन का सम्बन्ध अँधेरे से या सूर्यास्त से?

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शंका

जो रात्रि भोजन का त्यागी होता है उनके लिए किस समय से किस समय तक भोजन ग्रहण करने योग्य होता है?

समाधान

रात्रि भोजन का आप लोग त्याग करते हैं और जिस समय तक खाते हैं उस समय कभी नहीं खाना चाहिए। जैनियों के रात्रि भोजन त्यागियों की दशा यह है कि जब तक भोजन न हो जाए, तब तक रात नहीं होती। यह बड़ी बुरी दशा है, फिर कहते हैं “अभी तो रेखा दिख रही है।” संधि काल में तो बिल्कुल नहीं खाना चाहिए। जैसे इन दिनों 5:30 के बाद में भोजन के लिए नहीं बैठना चाहिए, यहाँ (राजस्थान) की बात कर रहा हूँ, मध्य प्रदेश की बात नहीं कर रहा हूँ, वहाँ दिन थोड़ी देर से अस्त होता है। यहाँ भोजन शाला में 5:30 के बाद entry (प्रवेश) नहीं होती तो कुछ लोग आपत्ति करते हैं कि “अभी तो दिन है” नहीं! आप 5:30 बजे जाएँगे तो दस-पंद्रह मिनट तो खाने में लगेगा। आप सूर्यास्त के कम से कम 20-24 मिनट पहले अपना भोजन सम्पन्न कर ले, कायदा यह है। संधि काल में तो और भी जीव उत्पन्न होते हैं। अगर आपने रात्रि भोजन को त्यागा ही है, तो उसका पूर्ण लाभ लें। जीव हिंसा से बचने के लिए रात्रि भोजन का त्याग किया है, तो उससे आप तभी बच सकते हैं जब समय से बन्ध करके आप काम करें।

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